बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 भूगोल बीए सेमेस्टर-3 भूगोलसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 भूगोल सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- जैव-विविधता के विलोपन (ह्रास) के मुख्य कारण क्या हैं? उनका वर्णन कीजिए।
अथवा
जैव-विविधता ह्रास को समझाइये।
अथवा
जैव विविधता को परिभाषित कीजिये। जैव विविधता ह्रास के प्रमुख कारणों को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर -
वर्तमान समय में जैव-विविधता का विलोपन बहुत तीव्रता से हो रहा है। इसके लिए प्राकृतिक तथा मानवीय दोनों कारक उत्तरदायी हैं। प्राकृतिक कारक जैसे जलवायु परिवर्तन, ज्वालामुखी विस्फोट. भूकम्प, भू-स्खलन, अतिवृष्टि, शीतलहरी, हिमावरण, हिमद्रवण, मृदा अपरदन, आँधी-तूफान आदि के कारण जीव-जातियों का क्षरण हो रहा है। नगरीकरण, औद्योगिकीकरण, कृषि का आधुनिकीकरण, सड़क निर्माण, वन विनाश, खनिज संसाधनों का उक्कर्षण आदि अनेक मानवीय क्रियायें हैं जिनसे जीवों एवं वनस्पतियों का तीव्रगति से क्षरण हो रहा है। निम्नांकित महत्वपूर्ण कारण हैं, जिनके द्वारा जैव विविधता का क्षरण हो रहा है -
1. आवास विनाश (Habitat Destruction ) : जैव विविधता को सबसे अधिक हानि मानव जनसंख्या की बढ़ती दर तथा मानवीय क्रिया-कलापों के द्वारा हो रही है, क्योंकि बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए नये-नये आवास बनाने के लिए वनों तथा प्राकृतिक स्थलों का विनाश किया जा रहा है जिससे वहाँ पर रहने वाले जीव जन्तुओं पर संकट आ जाता है। जैव समुदाय का सर्वाधिक विनाश पिछले 150 वर्षों के अन्दर हुआ है। अधिकतर कशेरुकी जीवों के विलोपन के लिए मुख्य खतरा आवास विनाश ही है। कई देशों जहाँ पर मानव की जनसंख्या का घनत्व ज्यादा है वहाँ पर सबसे अधिक प्राकृतिक आवासों का नष्टीकरण किया गया है। IUCN तथा UNEP के डाटा के अनुसार उष्ण कटिबन्धीय एशिया में लगभग 65 प्रतिशत वन्य जीवन आवास विलुप्त हो गया है। एशियाई देशों जैसे भारत बांग्लादेश श्रीलंका, हांगकांग तथा वियतनाम में विनाश की दरें सबसे अधिक हैं।
आवास की बड़ी मात्रा प्रतिवर्ष विलुप्त हो रही है क्योंकि विश्व के वनों का विनाश हो रहा है। वर्षा वन, उष्ण कटिबन्धीय शुष्क वन, आर्द्र भूमियाँ, मैन्यूव और घास भूमि खतरनाक आवास हैं तथा इनमें मरुस्थलीकरण (destrification) बढ़ रहा है।
2. आवास खण्डन (Habitat Fragmentation) : आवास खण्डन वह प्रक्रिया है जिसमें आवास के बड़े क्षेत्रों के क्षेत्रफल कम हो गये हैं तथा दो या अधिक खण्डों में बँट गये हैं। जब कोई आवास खण्डित होता है तो वहाँ प्रायः आवास खण्ड का छोटा भाग बचा रह जाता है। बड़े-बड़े आवासीय क्षेत्रों में सड़क, नाले, कस्बों, खेतों, पावर लाइनों आदि के निर्माण हो जाने के कारण वे अब छोटे-छोटे खण्डों में विभाजित हो गये हैं। आवास खण्ड प्राकृतिक आवास से दो रूपों में भिन्नता रखते हैं- (i) खण्डों में आवास के क्षेत्र के लिए बड़ी मात्रा अच्छी स्थिति में होती है (ii) प्रत्येक आवास खण्ड का केन्द्र सिरा के पास होता है। आवास खण्डन जाति के विभव को प्रकीर्णन या परिक्षेपण (dispersal) तथा उपनिवेशन (colonisation) के लिए सीमित कर सकता है। आवास खण्डन प्राणियों के चरने की क्षमता कम करता है। आवास खण्डन का प्रभाव जाति पर ठीक उसी प्रकार पड़ता है जैसे प्रकाश, ताप, वायु तथा जलवायु में परिवर्तन का।
3. आवास निम्नीकरण तथा प्रदूषण (Habitat Degradation and Pollution) : आवास निम्नीकरण का सबसे प्रमुख कारण पर्यावरणीय प्रदूषण है जो कि पीडकनाशी ( Pesticides), औद्योगिक अपशिष्ट तथा रसायन, कल-कारखानों तथा मोटर गाड़ियों (automobiles) से निकलने वाले धुएँ तथा अपरक्षित पहाड़ी किनारे (croded hill sides ) से अवसाद निक्षेप आदि से उत्पन्न होते हैं। ये कारक समुदाय में मुख्य जाति को नहीं प्रभावित करते हैं परन्तु अन्य जातियाँ आवास निम्नीकरण से अत्यधिक प्रभावित होती हैं। जैसे वन आवास में भौतिक कारकों (जैसे अनियंत्रित धरातलीय अग्नि) से बड़े वृक्षों को कम प्रभावित कर पाते हैं परन्तु इस आपदा से छोटे जीव तथा वन पृष्ठ पर समृद्ध बारहमासी वन्य पादप समूह आदि सर्वाधिक प्रभावित होते हैं।
4. विदेशी जाति का प्रवेश (Introduction of Enotic Species) : विदेशी जाति का किसी देशज समुदाय में प्रवेश मुख्यतः तीन कारकों पर निर्भर करता है - यूरोपियाई उपनिवेशन, उद्यान, कृषि (horticulture) तथा कृषि एवं आकस्मिक अभिगमन (accidental transport), अधिकांशतः सभी विदेशी जातियाँ नई जगहों पर अपना जीवन व्यतीत करने में अक्षम होती हैं, परन्तु कुछ जातियाँ उस दशा में अपने-आपको स्थापित करने की सक्षमता उत्पन्न कर लेती हैं। इस प्रकार की सक्षम जातियाँ देशज जातियों को अपने भोजन के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर देती हैं। ये विदेशी जातियाँ देशज जातियों को इतना प्रभावित कर देती हैं कि वह विलोपन की स्थिति तक पहुँच जाती हैं तथा उन परिस्थितियों में जीवित रहने में अक्षम होती हैं। विदेशी जातियों का प्रभाव द्वीपों पर ज्यादा देखने को मिलता है।
5. रोग (Disease) : यदि उन जीवों को (सूक्ष्म जीव) जो रोग उत्पन्न करते हैं उन्हें नये आवासीय या प्राकृत क्षेत्र में लाया जाता है तो वे महामारी उत्पन्न कर सकते हैं, जिसके कारण देशज जाति विलुप्त हो जाती हैं। मानव के क्रियाकलाप भी वन्य जातियों में रोगों को बढ़ावा देते हैं। जब इन वन्य जीवों को सीमित दायरे में रखा जाता है तो वे अत्यधिक रोगग्रस्त हो जाते हैं या अधिक रोगग्रस्त होने की आशंका रहती है जिसके फलस्वरूप जीवों की विलुप्ति हो सकती है।
6. अतिशोषण (Overexploitation) : आज जिस गति से मानव जनसंख्या बढ़ रही है उसी गति से वह प्राकृतिक सम्पदाओं का दोहन भी कर रहा है। इस दोहन से वह अपने उपयोग में आने वाली वस्तुओं का प्रयोग करता है। आज पूरे विश्व में प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग की दर में लगातार वृद्धि हो रही है। आज अधिकतम लाभ पाने के लिए पैदावार की कटाई के लिए नये-नये तरीके रूपान्तरित कर लिये गये हैं। प्राकृतिक सम्पदाओं का अतिशोषण पूर्व अवशोषित या किसी स्थानीय जाति के द्वारा तभी होता है जब उसकी व्यवसायिक बाजार में भागीदारी अधिक होती है। उदाहरण- फर में व्यापार आज संसार में संकटग्रस्त जातियों का लगभग एक तिहाई हिस्सा तथा इनके साथ-साथ अन्य जातियाँ भी खतरे में पड़ गई हैं। बढ़ती जनसंख्या के कारण गांवों में गरीबी बढ़ रही है। पैदावार की नई-नई योग्यतम विधियाँ और आर्थिक व्यवस्था का भूमण्डलीकरण मिलकर जातियों के विलोपन की दर को बढ़ा रहे हैं।
7. जैविक संसाधनों का अत्यधिक उपयोग औद्योगीकरण, जनसंख्या वृद्धि आदि के कारण मनुष्य जैविक संसाधनों का अत्यधिक व अन्धाधुन्ध प्रयोग कर रहा है। पेड़-पौधों तथा जीवों पर आधारित अनेक उद्योगों को विकसित किया गया है। इससे जैव विविधता के क्षरण में तीव्रता आयी है। जंगलों में पाये जाने वाले महत्वपूर्ण वृक्षों जैसे देवदार, सागौन, चीड, सॉल, साखू, गर्जन, चन्दन आदि की अन्धाधुन्ध कटाई करने के कारण इन वृक्षों का विलोपन तेजी से हो रहा है तथा इनका क्षेत्र सीमित होता जा रहा है।
हाथी, शेर, चीता, बाघ, बारहसिंघा आदि पशुओं एवं अनेक सुन्दर पक्षियों का शिकार मानव विभिन्न उपयोगों तथा शान-बान के लिए कर रहा है जिसके कारण ये पशु-पक्षी तीव्रता से विलुप्त हो रहे हैं। कुछ के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो गया है। समुद्रों, तालाबों, नदियों आदि से मत्स्य का दोहन अधिक हो रहा है। उत्पादन से अधिक इनका निष्कर्षण किया जा रहा है। जिसके परिणामस्वरूप इनकी संख्या निरंतर कम होती जा रही है।
8. प्राकृतिक प्रकोप ज्वालामुखी उद्गार, भूकम्प, भू-स्खलन, बाढ़, सूखा, आँधी-तूफान, जलवायविक घटनायें आदि हैं जिनसे जैव विविधता का क्षरण हो रहा है। कुछ प्राकृतिक घटनायें अकस्मात् होती हैं जिनसे तत्काल जीव-जन्तु तथा पेड़-पौधों का विनाश हो जाता है।
9. जलवायु परिवर्तन जलवायु परिवर्तन की प्रक्रिया आदि समय से ही संचालित है। जलवायु में अनेक बार परिवर्तन हो चुके हैं जिसका प्रभाव स्थलाकृतियों, वनस्पतियों एवं जीव-जन्तुओं पर पड़ा है। एक विशेष प्रकार की जलवायु में विशेष प्रकार के जीव-जन्तुओं का विकास होता है। अनेक स्थान पर विकसित वनस्पतियाँ और जीव-जन्तु जलवायु परिवर्तन से नष्ट हो गये। कुछ स्थानों पर नवीन वनस्पतियों एवं जीव-जन्तुओं का उद्भव हुआ। औद्योगीकरण, नगरीकरण, कृषि का विज्ञानीकरण आदि मानवीय क्रियाओं के तीव्रता से बढ़ने के कारण ग्रीन हाउस प्रभाव भी बढ़ रहा है। भू-तल के तापमान में निरन्तर वृद्धि हो रही है जिसके कारण जैव-विविधता का क्षरण हो रहा है। ताप वृद्धि का प्रभाव जीवों की प्रजनन एवं उत्पादन क्षमता पर पड़ रहा है। घड़ियाल में लिंग निर्धारण तापमान के कारण होता है। ताप वृद्धि इसमें व्यवधान उत्पन्न हो जायेगा। स्थानीय जैव-विविधता की मौलिकता समाप्त हो जायेगी।
तापमान की वृद्धि तथा समुद्र तल के उत्थान से तटीय तथा स्थलीय जैव-विविधता प्रभावित होगी। वर्तमान में जिस गति से ताप में वृद्धि हो रही है उससे अंटार्कटिका महाद्वीप की बर्फ भी पिघल रही है। जिससे हिन्द महासागर तथा अन्य महासागरों का जल स्तर ऊँचा हो जायेगा तथा समुद्र तट जलमग्न हो जायेगा जिसके कारण अनेक जीवों का विनाश हो जायेगा। वनस्पतियाँ नष्ट हो जायेंगी। तटीय जैव-विविधता का क्षरण होगा।
10. उन्नतशील प्रजातियों का प्रचलन वैज्ञानिक प्रगति के कारण पेड़-पौधों, फसलों, अनेक जन्तुओं आदि को उन्नतशील जातियों का आविष्कार कर लिया गया है। जिससे प्राचीन परम्परागत वनस्पतियों एवं जीव-जन्तुओं का लोप हो रहा है।
अनेक फसलें- गेहूँ, चावल, ज्वार बाजरा, मक्का, सब्जी, फल, दलहन, तिलहन, जानवर गाय-बैल, भेड़-बकरी, सुअर, बहुमूल्य पक्षियों जिनका पालन परम्परागत रूप से किया जाता था उनका विगत वर्षों से क्षरण हो रहा है। उन्नतशील जातियों के आगमन से प्राचीन जातियाँ विलुप्त होती जा रही हैं।
जनसंख्या वृद्धि को ध्यान में रखकर किसान अब अधिक उपज वाली फसलों का उत्पादन करते हैं। देशी गायों एवं मुर्गियों के स्थान पर अधिक दूध देने वाली गायों एवं अधिक अण्डे देने वाली मुर्गियों का उत्पादन किया जा रहा है। वास्तव में परम्परागत उत्पादित फसलों एव पालित पशुओं की गुणवत्ता अधिक थी, परन्तु उपज की मात्रा कम थी जिस कारण बहुमूल्य देशी एवं उपयोगी प्रजातियों की कीमत पर अधिक उपज वाली फसलों का उत्पादन किया जाने लगा है। इसका सीधा सम्बन्ध जैव-विविधता पर पड़ रहा है।
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- प्रश्न- पर्यावरण के कौन-कौन से घटक हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरण का अर्थ बताइये।
- प्रश्न- पर्यावरण की परिभाषायें बताइये।
- प्रश्न- पर्यावरण के विषय क्षेत्र को बताइए तथा इसके सम्बंध में विभिन्न पहलुओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरण के मुख्य तत्व कौन-कौन से हैं? स्पष्टतया समझाइए।
- प्रश्न- पर्यावरण भूगोल के विकास की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरण के संघटकों को समझाइए।
- प्रश्न- पर्यावरण के जैविक तत्वों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिकी की मूलभूत संकल्पनाओं का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिकीय असंतुलन के कारणों का परीक्षण कीजिए एवं उसे दूर करने के उपायों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिक संतुलन की सुरक्षा हेतु कारगर योजना नीति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिकी क्या है?
- प्रश्न- पारिस्थितिकी की परिभाषायें बताइये।
- प्रश्न- पारिस्थितिकी के उद्देश्यों को बताइये।
- प्रश्न- पारिस्थितिकी समस्याओं के कारकों को बताइये।
- प्रश्न- पारिस्थितिक सन्तुलन पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- जैविक संघटक के आधार पर पारिस्थितिकी का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- भारत में पारस्थितिकी विकास में भौगोलिक क्षेत्र की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्वपारिस्थितिकी किसे कहते हैं?
- प्रश्न- समुदाय पारिस्थितिक क्या है? इसके उपविभाग को समझाइए।
- प्रश्न- पारिस्थितिक असन्तुलन एवं संरक्षण पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिक अध्ययनों के विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मानव पारिस्थितिकी क्या है?
- प्रश्न- ग्रिफिथ टेलर का योगदान क्या है?
- प्रश्न- पारिस्थितिकी तंत्र की संकल्पना, अवयव एवं कार्यप्रणाली की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिक तंत्र को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- पारितंत्र की संकल्पना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिक तंत्र की विशेषताओं को बताइए।
- प्रश्न- निवास्य क्षेत्र के आधार पर पारिस्थितिक तंत्र का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिक तंत्र के संघटकों को बताइए।
- प्रश्न- मनुष्य पारिस्थितिक तंत्र में अस्थिरता उत्पन्न करता है।' व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिकीय दक्षता का क्या महत्व है?
- प्रश्न- भारतीय संस्कृति में पर्यावरण संरक्षण कैसे निहित है? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरण के सन्दर्भ में पारम्परिक ज्ञान से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- प्राकृतिक आपदा "भूकम्प" की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पारम्परिक ज्ञान क्या है एवं इसके प्रमुख लक्षण बताइए।
- प्रश्न- "प्रकृति को बचाएँ, प्राकृतिक जीवन शैली अपनाएँ।" इस वाक्य पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय पारम्परिक ज्ञान एवं पर्यावरण संरक्षण पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- पारम्परिक ज्ञान को परिभाषित करते हुए उसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- जैव-विविधता से आप क्या समझते हैं? पारिस्थितिक तंत्र की स्थिरता में इसके योगदान की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जैव विविधता संरक्षण हेतु भारत के राष्ट्रीय पार्कों तथा अभ्यारण्यों की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पादप संरक्षण से आप क्या समझते हैं? विभिन्न संकटग्रस्त पादपों के संरक्षण के लिए किये गये विभिन्न उपायों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जैव-विविधता के विलोपन (ह्रास) के मुख्य कारण क्या हैं? उनका वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जैव विविधता के संरक्षण के उपायों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जैव विविधता के संरक्षण की कौन-कौन सी विधियाँ हैं? पर्यावरण संतुलन में इसकी क्या भूमिका है?
- प्रश्न- जैव विविधता का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जैव विविधता के विभिन्न स्तरों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जैव विविधता में ह्रास के प्रमुख कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- जैव विविधता संरक्षण के उपाय स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- "वनोन्मूलन वातावरण का एक कारक है।' भारत के सन्दर्भ में इसकी विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारतवर्ष में वातावरण का विनाश किन-किन क्षेत्रों में सर्वाधिक हुआ है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वन विनाश का पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभावों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में वनोन्मूलन के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- वनों के महत्व को बताइये।
- प्रश्न- भारतीय वन व्यवसाय की समस्यायें बताइए।
- प्रश्न- भारत में वन संरक्षण नीति क्या है?
- प्रश्न- वन संरक्षण के उपाय बताइये।
- प्रश्न- भारत में वन संरक्षण नीतियों को समझाइए।
- प्रश्न- वन संरक्षण क्यों आवश्यक है?
- प्रश्न- वनों के विकास के कारक बताइये।
- प्रश्न- पर्यावरण के सुधार में वनीकरण की भूमिका क्या है?
- प्रश्न- चिपको आन्दोलन को समझाइए।
- प्रश्न- वन विनाश की समस्या पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मिट्टी के कटाव के प्रमुख प्रकार बताइये, मिट्टी के कटाव के प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिए तथा इसके निस्तारण के उपाय बताइये।
- प्रश्न- मृदा अपरदन से उत्पन्न पर्यावरणीय समस्याएँ क्या हैं? मृदा अपरदन को रोकने के क्या उपाय हैं?
- प्रश्न- मृदा अपरदन से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- मृदा क्षय और मृदा अपरदन रोकने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- मिट्टी अपरदन के कारण क्या हैं? बताइये।
- प्रश्न- मृदा अपरदन में मुख्य रूप से कौन प्रक्रियायें सम्मिलित होती हैं? बताइये।
- प्रश्न- मृदा की अपरदनशीलता से क्या तात्पर्य है? मिट्टियों की अपरदनशीलता किन कारकों पर आधारित होती हैं? बताइये।
- प्रश्न- FAO के अनुसार कौन से कारक मृदा अपरदन को प्रभावित करते हैं बताइये?
- प्रश्न- मृदा संरक्षण के संदर्भ में विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मिट्टी की थकावट क्या है?
- प्रश्न- मरुस्थलीयकरण से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- मरुस्थलीयकरण के कारणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मरुस्थलीयकरण के प्रभाव बताइये।
- प्रश्न- मरुस्थलीय प्रक्रिया के प्रमुख रूपों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मरुस्थलीयकरण नियंत्रण के उपाय बताइये।
- प्रश्न- मरुस्थलीयकरण नियंत्रण के उपायों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मरुस्थल कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- भारत के भेद में मरुस्थलीकरण के निरन्तर विस्तार को समझाइये |
- प्रश्न- पर्यावरण प्रदूषण भारत की मुख्य समस्या है। प्रदूषण समस्या की समीक्षा निम्नलिखित संदर्भ में कीजिए (i) वायु प्रदूषण (ii) जल प्रदूषण।
- प्रश्न- जल प्रदूषण की परिभाषा दीजिए। जल प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों का वर्णन करते हुए नियंत्रण के उपाय बताइये।
- प्रश्न- जल संरक्षण एवं प्रबन्धन के महत्व की विवेचना करते हुए जल संरक्षण एवं प्रबन्धन की प्रमुख विधियों का विवरण लिखिए।
- प्रश्न- प्रदूषण किसे कहते हैं? वायु प्रदूषण के कारण एवं नियंत्रण का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- ठोस अपशिष्ट से क्या आशय है? ठोस अपशिष्ट के कारणों तथा प्रभावों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरण प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है?
- प्रश्न- पर्यावरण प्रदूषण की परिभाषा बताइए।
- प्रश्न- पर्यावरण प्रदूषण के सामान्य कारणों को बताइए।
- प्रश्न- पर्यावरण संतुलन से क्या अभिप्राय है?
- प्रश्न- पर्यावरण प्रदूषक क्या है? इनके प्रकारों को बताइये।
- प्रश्न- पर्यावरण प्रदूषण का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- वायु प्रदूषण क्या है?
- प्रश्न- वायु प्रदूषण की परिभाषा बताइये।
- प्रश्न- वायु प्रदूषकों के प्रकारों को बताइये।
- प्रश्न- वायु प्रदूषण के स्रोतों को बताइए।
- प्रश्न- वायु प्रदूषण के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- भारत के सन्दर्भ में वायु प्रदूषण की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- वायु प्रदूषण का पर्यावरण में प्रभाव को बताइए, तथा विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वायु प्रदूषण रोकने के उपाय बताइए।
- प्रश्न- जल प्रदूषण की प्रकृति को बताइए।
- प्रश्न- जल प्रदूषण का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- गंगा प्रदूषण पर निबंध लिखिए या गंगा प्रदूषण की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- किन प्रमुख स्रोतों से गंगा का जल प्रदूषित हो जाता है कारण बताइए।
- प्रश्न- गंगा जल प्रदूषण को रोकने के उपाय बताइए।
- प्रश्न- जल प्रदूषण के प्रभावों को बताइए तथा इन कारकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ध्वनि प्रदूषण के कारण एवं नियंत्रण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मृदा प्रदूषण से आप क्या समझते हैं? परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- मृदा की गुणवत्ता में हास या अवनयन किन-किन कारणों से होता है, बताइए?
- प्रश्न- मृदा प्रदूषण के कारकों को बताइए तथा मिट्टी प्रदूषकों के नाम बताइए।
- प्रश्न- मिट्टी प्रदूषण के स्रोतों को बताइए।
- प्रश्न- मिट्टी प्रदूषण के कुप्रभाव बताइए।
- प्रश्न- ठोस अपशिष्टों के घटकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ठोस अपशिष्ट प्रदूषण की परिभाषा बताइए।
- प्रश्न- ठोस अपशिष्ट के स्रोत बताइए।
- प्रश्न- ठोस अपशिष्ट के प्रकार बताइये तथा प्रत्येक की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ठोस अपशिष्टों का प्रदूषण में क्या योगदान है विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ठोस अपशिष्ट पदार्थों के निपटान के बारे में सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- ध्वनि प्रदूषक क्या हैं?
- प्रश्न- प्रदूषित पेयजल जनित रोग बताइए?
- प्रश्न- "पर्यावरण प्रदूषण एक अभिशाप है।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जल संरक्षण की विधियों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- ठोस अपशिष्ट क्या है?
- प्रश्न- गंगा एक्शन प्लान (GAP) का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- टिहरी उच्च बाँध परियोजना के क्या कारण थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- टाइगर प्रोजेक्ट के विशेष सन्दर्भ में वन्य जीवन परिसंरक्षण की सार्थकता की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत की बाघ परियोजना का विस्तार से वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- नर्मदा घाटी परियोजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नर्मदा घाटी से सम्बन्धित पर्यावरणीय चिन्ताएँ क्या हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- गंगा एक्शन प्लान की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- टिहरी बाँध परियोजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- टिहरी बाँध परियोजना के क्या उद्देश्य थे?
- प्रश्न- भारत में कितने टाइगर अभयारण्य हैं?
- प्रश्न- भारत में टाइगर प्रोजेक्ट योजना का निर्माण क्यों आवश्यक था?
- प्रश्न- गंगा कार्य योजना (गंगा एक्शन प्लान) के संस्थागत पहल के विषय में बताइए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन को समझना क्यों आवश्यक है?
- प्रश्न- ग्लोबल वार्मिंग क्या है? इसके मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैश्विक उष्णता से आप क्या समझते हैं? इसके कारण तथा प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हरित गृह प्रभाव की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- हरित गैस के प्रमुख स्रोत बताइए।
- प्रश्न- हरित गृह द्वारा कौन-कौन सी समस्यायें उत्पन्न होती हैं? समझाइए।
- प्रश्न- हरित गृह प्रभाव की रोकथाम को बताइए।
- प्रश्न- ओजोन क्षरण से मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- ओजोन परत क्षरण के कारण लिखिए।
- प्रश्न- भूमण्डलीय ताप वृद्धि के प्रभाव क्या है?
- प्रश्न- प्रमुख भूमण्डलीय समस्याओं को बताइये।
- प्रश्न- भूमण्डलीय तापन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रथम पृथ्वी सम्मेलन (रियो सम्मेलन) के प्रमुख मुद्दों को बताइए।
- प्रश्न- प्रथम पृथ्वी सम्मेलन के मुद्दों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैश्विक ताप वृद्धि के निवारक उपाय बताइए।
- प्रश्न- भारतीय पर्यावरण विधियों (अधिनियमों) की कमियाँ बताइये।
- प्रश्न- भारत पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैश्विक जलवायु आकलन आई.पी.सी.सी. पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- आई.पी.सी.सी. की मूल्यांकन रिपोर्ट का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल की व्याख्या कीजिए एवं आई.पी.सी.सी. की आकलन रिपोर्ट बताइए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन क्या है एवं इसके कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- ग्लोबल वार्मिंग के कारण जलवायु परिवर्तन के संभावित वैश्विक प्रभाव को बताइए।
- प्रश्न- एशियाई क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना का वर्णन एवं इसके मिशन को भी बताइए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सौर मिशन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- उन्नत ऊर्जा दक्षता के लिये राष्ट्रीय मिशन के उद्देश्य क्या हैं?
- प्रश्न- सुस्थित निवास पर राष्ट्रीय मिशन का लक्ष्य बताइए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय जल मिशन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सुस्थिर हिमालयी पारिस्थितिक तंत्र हेतु राष्ट्रीय मिशन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हरित भारत हेतु राष्ट्रीय मिशन का लक्ष्य क्या है .
- प्रश्न- सुस्थिर कृषि पर राष्ट्रीय मिशन की व्याख्या करें।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन हेतु रणनीति ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "जलवायु परिवर्तन एवं भारतीय स्थिति पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन के सम्बन्ध में भारत और अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन के प्रतिकार के प्रस्ताव की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जलवायु हितैषी उपायों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन पर निगरानी रखने से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- अनुसंधान क्षमता और संस्थागत आधारभूत संरचना का निर्माण जलवायु परिवर्तन के लिये क्यों आवश्यक है?
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन पर शैक्षिक ढाँचा क्यों आवश्यक है?
- प्रश्न- पर्यावरण प्रकोप से क्या आशय है? प्राकृतिक एवं मानव जनित प्रकोपों की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरण प्रकोप तथा विनाश का अर्थ एवं परिभाषा को बताइए।
- प्रश्न- पर्यावरण प्रकोप के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- प्राकृतिक प्रकोप की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मानव जनित प्रकोप की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रकोप के प्रति सामाजिक प्रतिक्रिया की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्राकृतिक प्रकोपों तथा आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए प्रबंधन के अन्तर्गत किन- किन पक्षों को सम्मिलित किया जाता है।
- प्रश्न- Idndr के तहत प्रकोप नयूनीकरण कार्यक्रम के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- सूखा प्रकोप से आप क्या समझते हैं? सूखा प्रकोप के प्रभाव बताइये।
- प्रश्न- सूखा नियंत्रण के उपाय बताइये।
- प्रश्न- बाढ़ प्रकोप से आप क्या समझते हैं? बाढ़ के कारण बताइए।
- प्रश्न- बाढ़ नियंत्रण के उपाय बताइये।
- प्रश्न- भूकम्प प्रकोप का सामान्य परिचय देते हुए उनके प्रभावों को बताइए।
- प्रश्न- भारत के जोखिमकारी अवशिष्टों का प्रबन्धन क्यों आवश्यक है एवं देश में जोखिमकारी अवशिष्टों को पर्यावरणीय अनुकूलन की दृष्टि से प्रबन्धित करने हेतु विभिन्न हस्तक्षेपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण से जैव विविधता के सामने प्रस्तुत खतरे और समाधान को बताइए।
- प्रश्न- "आक्रामक विजातिय प्रजातियों से नियंत्रित होने का खतरा बना रहता है। कथन की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जोखिमकारी अवशिष्टों के उत्पन्न होने के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- अवशिष्टों की उत्पत्ति पर कैसे नियंत्रण किया जा सकता है?
- प्रश्न- "पुनर्उपयोग, पुनः प्राप्त करना पुनर्चक्रणीय जोखिमकारी अवशिष्ट" की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जोखिमकारी नियामक ढाँचे से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- 'अधिवास के नुकसान से दबाव, अवमूल्यन में कमी से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय वानिकी और पारिस्थितिकीय विकास बोर्ड के कार्य बताइए।
- प्रश्न- प्राकृतिक आपदाओं के प्रकार एवं आपदा प्रबन्धन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कृषि व सिंचाई की दृष्टि से जल की उपलब्धता व सूखे का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सूखा-प्रणत क्षेत्र कार्यक्रम का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आपदा के समय क्या करना एवं क्या न करना चाहिए?
- प्रश्न- प्राकृतिक आपदाएँ एवं प्रबन्धन के विषय में बताइए।
- प्रश्न- प्राकृतिक आपदाओं से अत्यधिक प्रभावित राज्य कौन से हैं?
- प्रश्न- सूखा अथवा अनावृष्टि को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- जल की उपलब्धता पर सूखे के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सुनामी आपदा क्या है? परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय तटों पर सुनामी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 26 दिसम्बर 2004 का सुनामी आपदा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सुनामी द्वारा लाये गये परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 2013 की अनावृष्टि (सूखा) का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- परमाणु आपदा का विवरण दीजिए। इससे होने वाले विनाशों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रासायनिक आपदा क्या है? परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- किसी आपात या रासायनिक आपात स्थिति के दौरान क्या करना चाहिए?
- प्रश्न- नाभिकीय / रेडियोधर्मी प्रदूषण को रोकने के उपाय का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भू-स्खलन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।